अलविदा 2021: जलजमाव और लॉकडाउन से त्रस्त रहे शहरवासी, खेतीबाड़ी भी बारिश और बाढ़ से रही प्रभावित

मुजफ्फरपुर। आठ मई, 2021 को कोरोना की लहर कम होने और लाकडाउन हटने के साथ बाजार में रौनक आ गई, लेकिन बारिश के मौसम कारण जगह-जगह जलजमाव और कृषि क्षेत्र प्रभावित होने से व्यवसायियों को भारी परेशानी हुई।




लगन के अवसर ने सारे हानि की भरपाई कर दी। लगन में 500 करोड़ से अधिक का व्यापार होने से व्यवसायी वर्ग सभी प्रकार के कष्टों को भूल गए। बारिश के बाद जलजमाव से सर्वाधिक परेशानी मोतीझील के व्यापारियों को हुई। ग्राहक दूसरे इलाकों की ओर रुख कर जाते थे। चैंबर आफ कामर्स के महामंत्री सज्जन शर्मा ने कहा कि अनावृष्टि के कारण फसल बर्बाद होने से ग्रामीण अच्छे से कपड़ों की खरीदारी नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि सुतापट्टी, सरैयागंज सहित जिले के अन्य कपड़ा मंडी में ग्रामीण खरीदारों की संख्या अधिक रहती है। लेकिन जलजमाव के कारण उन लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में 2021 में कपड़े का अच्छा व्यवसाय हुआ। इससे व्यवसायी खर्चे निकालने के साथ टैक्स की भरपाई भी कर रहे।


सराफा मंडी में अच्छा हुआ कारोबार प्रभावित
लाकडाउन के बाद तीन लगन ने सराफा मंडी में हरियाली ला दी। पिछले लाकडाउन की मार से इस बार 80 फीसद उबर गए। इस बार जिले में करीब 100 विवाह भवन में 25 हजार शादियां हुई। इसमें बैंड बाजे वाले भी ङ्क्षजदा हो गए। काफी दिनों तक कर्ज लेकर अपनी दुकान और पेट चलाते रहे। इसके साथ शादी के अन्य सामान की भी खूब बिक्री हुई। फूल-माला की बिक्री भी 10 से 20 प्रतिशत बढ़ाकर हुई। आभूषणों की बिकी में इजाफा हुआ। त्योहार में सोने-चांदी की जमकर बिक्री हुई। लगन का बाजार में तेजी रही। गोवर्धनराम राम आशीष कल्याणी शाखा के प्रोपराइटर आदित्य कुमार ने बताया कि अभी तक आभूषणों का 80 फीसद व्यापार हुआ है। उन्होंने कहा कि खरमास बाद फिर लगन शुरू होगा। वर्ष 2022 में लग्न का शुरुआती दौर कोरोना से अलग रहा तो और भी अच्छा रहेगा। इस मंदी में भी सोना-चांदी के भाव में उछाल रहा। इसके बाद भी बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा।


गृह निर्माण की सामग्री पर महंगाई का असर
पिछले लाकडाउन में लोहा, सीमेंट आदि के व्यापार में काफी घटा होने के कारण 2021 में लोहा, स्टील और सीमेंट का दाम डेढ़ गुणा बढ़ा दिया गया। गृह निर्माण सामग्री अधिक महंगा होने से कई लोगों का घर आधे-अधूरे ही रह गया। इस बीच बालू ने भी धोखा दिया। बरसात में सभी प्रकार का बालू बंद हो गया। जब खुला तो सरकार ने बालू का रेट तय कर दिया, बावजूद महंगे दामों पर बालू की बिक्री होती रही।

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