अत्यधिक बाढ़ प्रभावित उत्तर बिहार की नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश होने के बाद अब बाढ़ आने के पहले ही उसकी वास्तविक स्थिति का पता चल जाएगा। नदियों के किनारे नई तकनीक की वाटर लेवल गेज मशीन तथा रेन गेज मशीन लगाई जाएगी। इससे प्रत्येक 15 मिनट पर इंजीनियरों के मोबाइल पर बारिश के साथ ही नदियों के जलस्तर बढ़ने के संबंध में जानकारी मिलती रहेगी।
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इस डाटा सिस्टम तथा रेन गेज मशीन के सहयोग से बाढ़ अाने से पूर्व ही उसकी जानकारी मिलने से बचाव कार् हो सकेगा। इससे हर साल बाढ़ से होने वाली भारी क्षति से बचाव होगा। गुरुवार काे जल संसाधन विभाग के सर्किट हाउस में इसको लेकर मशीन बनाने वाली कंपनी के अशाेक प्रजापति तथा बाबू राव खाेरवे ने मुख्य अभियंता मुजफ्फरपुर क्षेत्र के सभी अभियंताओं काे प्रशिक्षण दिया। राज्य में नदियों के किनारे स्थित पुलों पर 52 स्थानों पर ऑटोमैटिक वाटर लेवल गेज मशीन तथा 25 स्थानों पर ऑटोमैटिक रेन गेज मशीन लगाई जा चुकी है।
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जिले में दो जगह लग चुकी है ऑटोमैटिक वाटर लेवल गेज मशीन, तीन और लगेंगी
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जल पथ प्रमंडल बूढ़ी गंडक के कार्यपालक अभियंता बबन पाण्डेय ने बताया कि अभी जिले में केवल बाेचहां तथा कटरा में ऑटोमैटिक वाटर लेवल गेज मशीन लगने से पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है। उन्होंने बूढ़ी गंडक नदी के किनारे अखाड़ाघाट, पिलखी पुल तथा काेदरिया घाट में भी इस सिस्टम काे लगवाने का प्रस्ताव दिया।
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ये है ऑटोमैटिक रेन गेज मशीन
ऑटोमैटिक रेन गेज मशीन लगने से जहां बारिश के अनुमान के साथ ही हवा की आद्रता, तापमान की सटीक जानकारी मिल जाएगी। वहीं तापमान, आद्रता, वर्षा का दबाव, बर्फबारी, सूर्योदय और सूर्यास्त समय के अलावा हवा की गति और दिशा के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इस मशीन में सेंसर लग होता है। जिससे सारा डाटा जिले में स्थापित आपदा प्रबंधन इकाई और मौसम विज्ञान केंद्र को सीधे ट्रांसफर हो जाएगा।
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फायदे : बाढ़ का होेगा सही आकलन
ऑटोमैटिक रेन गेज मशीन लगने से बाढ़, सुखाड़ और चक्रवाती तूफान का आकलन करने में सबसे ज्यादा सहायता मिलेगी। इसके बाद कृषकों को समय-समय पर वर्षा कब होगी, कब नहीं, यह भी पता चल जाएगा। साथ ही वर्षा नहीं होने की स्थिति में किसान दूसरे संसाधनों से पानी की व्यवस्था कर फसलों की सिचाई कर सकेंगे।
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ये है ऑटोमैटिक वाटर लेवल गेज मशीन
यह सेंसर युक्त सिस्टम से संचालित है। यह सेंसर ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा होता है। इसमें एक चिप लगा रहता है। जिसमें पुल से संबद्ध इंजीनियरों के मोबाइल नंबर फीड रहते हैं। पुल पर जलस्तर बताने वाले स्केलर को सेंसर सिस्टम रीड करता है। जब जलस्तर खतरे के निशान से घटता या बढ़ता है तो स्वत: संबंधित इंजीनियरों और अधिकारियों को एसएमएस चला जाता है।
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फायदे : संभावित क्षति हो सकेगी कम
जिस जगह यह मशीन लगाई जाएगी, वहां नदी का जलस्तर मापने के लिए मीटर गेज की जरूरत नहीं पड़ेगी। पुरानी पद्धति से नदियों के बढ़ते जलस्तर का सही पैमाना व तात्कालिक सूचनाएं नहीं मिल पाती थीं। इस सिस्टम से सूचना मिलते ही संभावित खतरे व क्षति को कम से कम किया जा सकेगा।





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