नए एहसास और नई ऊर्जा के साथ नए साल के जश्न के लिए लोगों ने इस बार भी नेपाल की हसीन वादियों काे ही चुना और उसका लुत्फ उठाने के लिए दो-तीन पहले से ही वहां पहुंचने लगे।
नेपाल की एक जगह है पोखरा सिर्फ इसकी बात करें तो वह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और कई हिंदू मंदिरों के लिए जाना जाता है।इसके अलावा, यहां झील किनारे कई मनमोहक रेस्टोरेंट्स और कैफे हैं। बिहार में शराबबंदी के कारण खाने-पीने और मौज-मस्ती करने का शौक रखनेवालों के लिए नेपाल ही सबसे करीब और पसंदीदा पिकनिक स्पाट है।
नववर्ष के मौके पर होनेवाली पार्टियों पर पुलिस व प्रशासन की भी नजर के चलते लोग डरे-सहमे रहते हैं। इस बार शराबबंदी को लेकर सख्ती और बढ़ने से वैसे लोग नेपाल ही बेहतर समझे। शहर के प्राय: सभी होटलों, रेस्टोरेंट आदि स्थानों पर वैसे तो नववर्ष के स्वागत के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। आधुनिक साज-सज्जा के साथ ग्राहकों के लिए विशेष छूट का भी ऑफर था मगर पीने-पिलाने पर रोक के चलते नेपाल जाने के सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं रह गया था। शहर से बड़ी संख्या में खासकर युवाओं की टोलियां नेपाल गई हैं। नए साल का खुमार उनलोगों पर सिर चढ़कर कर बोल रहा है।
छह सौ गाड़ियां पांच-पांच सौ का टैक्स भरकर नेपाल सैर को पहुंची
31 दिसंबर से फर्स्ट जनवरी तक तकरीबन छह सौ गाड़ियां इस रास्ते क्राॅस की। कुछ लोग तीन-चार दिन पहले ही पहुंच गए थे। 31 दिसंबर को 354 गाड़ियां नेपाल में प्रवेश की थीं। शनिवार दोपहर तक दो सौ से अधिक गाड़ियां गुजरी थीं। एक दिन पहले जानेवाली गाड़ियों में से इस समय तक 27 गाड़ियां पिकनिक मनाकर लौट गईं। तीन दिन के टूर पर अमूमन ये लोग नेपाल के विभिन्न स्पाट पर पिकनिक के लिए पहुंचे हैं। भारत से नेपाल जानेवाले प्रति चार पहिया वाहन को नेपाल सरकार के द्वारा पांच सौ रुपये के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है।जिसका भारतीय मूल्य 312.50 रुपये होते हैं। इसी तरह मोटरसाइकिल के लिए 130 रुपये नेपाली जिसका 78.50 रुपये टैक्स भरना होता है। पिछले साल कोरोना को लेकर बॉर्डर सील रहने के चलते लोग नेपाल नहीं जा सके थे जिसका कसक इस बार दूर हुआ। सोनबरसा एसएसबी हनुमान चौक बॉर्डर से मलंगवा होते हुए नेपाल में ये गाड़ियां प्रवेश की। बॉर्डर से तीन किलोमीटर दूर नवलपुर एनएच-77 से नेपाल के सभी इलाकों के लिए गाड़ियों की सुविधा उपलब्ध हैं। नेपाल के पोखरा, मनोकामना, काठमांडू में बाबा पशुपतिनाथ, जनकपुरधाम, विराटनगर भी लोग घूमने-फिरने के लिए गए।
नेपाल के सभी होटल, रेस्टोरेंट, कैफे तीन दिनों तक रहे बुक
नेपाली क्रांतिपुर अखबार के बयान के अनुसार, पिछले तीन दिनों में वहां के सारे होटल पहले से ही बुक हो चुके थे।बीते 30 दिसंबर को नेपाल भंसार कार्यालय के अनुसार, 182 चार पहिया वाहन भारत से नेपाल में प्रवेश किया।31 दिसंबर को 384 वाहन, पहली जनवरी को 192 वाहन पिकनिक मनाने के लिए प्रवेश किया। जिनमें दस प्रतिशत लोग मठ-मंदिरों में दर्शन के लिए थे।सोनबरसा से सटे त्रिभुवन नगर जो दो सौ मीटर की दूरी पर है, वहां चार दर्जन से अधिक होटल खुले हुए हैं। जहां भारतीय लोग अपने सगे-संबंधी के नाम पर शराब का लाईसेंस लेकर कारोबार कर रहे हैं। दिन प्रतिदिन दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है। फर्स्ट जनवरी के दिन वहां के होटल भारतीय लोगों से खचाखच भरे रहे।
पोखरा की वादियां सैलानियों को खींच लाती बरबस
पोखरा दर्शनीय स्थल आपको प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद दिलाता है। जहां आपको ताजगी भरी हवा अपने आगोश में भर लेती है। धार्मिक स्थलों की भी यहां कोई कमी नहीं है। यह स्थान धार्मिक, प्राकृतिक व रोमांचक स्थलों का संगम है। आप पहाड़ों की ऊंचाईयों से लेकर झीलों की गहनता में उतर सकते हैं। पोखरा दर्शनीय स्थल प्रकृति के अद्भुत दृश्यों की लहर जैसे है, जो सबको बहाते हुए आनंदमयी सफर पर ले जाते हैं।
बैरगनिया-गौर बॉर्डर के रासते 492 गाड़ियों में भरकर लोग नेपाल पहुंचे मौज-मस्ती को
बैरगनिया। नेपाल के बागमती, पोखरा, हेथौड़ा, चंद्रनिगाहपुर, गरुड़ा आदि जगहों पर इधर के काफी संख्या में लोगों ने पिकनिक मनाया। जश्न के लिए 28 दिसंबर से ही वैसे लोगों के नेपाल जाने का सिलसिला शुरू हो गया। मोटरसाइकिलों के अलावा लग्जरी वाहनों, भाड़े के वाहनों से लोग नेपाल कुच करते रहे। बैरगनिया के रास्ते गौर बॉर्डर होते हुए जानेवालों के बारे में गौर भंसार अधिकृत सुशील शर्मा ने बताया कि 28 दिसंबर को 11, 29 दिसंबर को 19, 30 दिसंबर को 35, 31 दिसंबर को 136 तथा पहली जनवरी की शाम तक 291 चार पहिया वाहनों में भरकर लोग नेपाल गए। इन गाड़ियों का भंसार काटा गया जिससे वाहनों की संख्या का पता चला। नववर्ष पर जश्न मनाने हेतु सीमा पर गौर के वार्ड नंबर-5 स्थित झुलनवा पुल पर भारतीय सैलानियों की भीड़ देखते बन रही थी। इन स्थानों पर लोगों ने जमकर मस्ती की। दिनभर खाने-पीने और पीने-पिलाने का दौर जारी रहा। भीड़ को देखते हुए नेपाल पुलिस एक-एक कर लोगों को झुलनवा पुल पर जाने दे रही थी। कोरोना संक्रमण के बावजूद पिकनिक स्पाट पर काफी भीड़ जुट गई थी। जिसमें अधिकतर लोग बिना मास्क के थे। इससे कोरोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है।
नेपाल की वादियों में पिकनिक मनाने वालों की खूब हुई आवभगत, दो दिन में एक हजार गाड़ियां पहुंची
सुरसंड । नेपाल में पहुंचनेवाले सैलानियों को देखकर होटलों, पब, रेस्टोरेंट वगैरह के अलावा स्थानीय लोगों ने भी पूरा इंतजाम किया था। जगह-जगह शराब की उपलब्धता थी, कहीं-कहीं तो स्टाल ही लग गए थे, डीजे साउंड की धुनके बीच लोग मस्ती से खाते-पीते और झूमते रहे। नेपाल के मरवाही, थरूवाही, नैन्ही, सकरी, चकबा, हलखोरी, बथनाहा, मध्व, में गांव-गांव और बगीचों तक लोगों ने पिकनिक मनाया। इन सैलानियों के पहुंचने के मद्देनजर शराब की दुकानें जगह-जगह खुल गई थीं। भिट्ठामोड़ अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर होकर फर्स्ट जनवरी तक तकरीबन एक हजार गाड़ियां नेपाल के लिए रवाना हुईं।
30 दिसंबर को चार पहिया वाहनों के नेपाल में प्रवेश करने का सिलसिला अचानक तेज हो गया। मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, छपरा, हाजीपुर, दरभंगा, पटना से स्कार्पियो से जत्था नेपाल के जनकपुर धाम, धनुषा धाम, ढलकेवर, लहान, बद्रीबांस, लालगढ़, शिक्षवर, धरान, शैलेश, फुलवारी, पकरिया गढ़ के लिए भिट्ठा मोड़ (मालीवाड़ा) से नेपाली कस्टम से 216 चार पहिया वाहन भंसार कटाकर निकला। ये सभी वाहन दो जनवरी को लौटेंगे। 31 दिसंबर को 170 भारतीय चार पहिया वाहन काठमांडू, पोखरा, लहान, धरान, धनुषा धाम, महेंद्र नगर, गेउरुका, कमला, लक्ष्मी बांस, पकरिया गढ़ सहित दर्जनों पिकनिक स्पाट के लिए निकला। ये सभी लोग भी दो जनवरी को ही लौटनेवाले हैं। यानी तीन दिनों का इनका टूर फिक्स था।
फर्स्ट जनवरी को सबसे ज्यादा 681 चार पहिया वाहन पिकनिक मनाने के लिए नेपाल के बौधी माई, राजदेवी माई, चुरिया माई, काठमांडू, पोखरा, क्षेत्र पहाड़, ढलकेवर, धनुषा धाम, लहान, धरान सहित दर्जनों गांव व पहाड़ों के लिए प्रस्थान किया। इनमें से कुछ वाहन शनिवार को ही लौट आए तो कुछ दो जनवरी को लौटनेवाले हैं। नेपाल के जलेश्वर कस्टम कार्यलय के एक अधिकारी ने बताया कि नेपाल सरकार के नियमानुसार भारतीय क्षेत्र से यात्री व पिकनिक मनाने वाले चाहे जिस वाहन से नेपाल में प्रवेश करते हैं, उन्हें प्रहरी रोककर जरूर समझाता है कि नेपाली स्वास्थ्य शिविर में कोरोना जांच अवश्य कराएं। जांच का प्रमाणपत्र लेकर ही अपनी गाड़ियों का भंसार कटाएं। नेपाल सरकार के नियमानुसार, सवा सौ से डेढ़ सौ की संख्या में वाहनों को बैरंग लौटना पड़ा क्योंकि, उनमें से कई रात में पहुंचे तो कई ने जांच नहीं कराई।
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