मुजफ्फरपुर। बीबी कॉलेजिएट परिसर में आयोजित दस दिवसीय खादी मेला सह प्रदर्शन महज तीन दिनों में बंद हो गया। कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर गृह विभाग की ओर से दिए गए आदेश के आलोक में बुधवार को शाम से मेला बंद कर दिया गया।
शाम ढ़लते ही बुनकर व खादी संस्थानों के लोग अपने अपने सामान समेटने लगे।
मेला बंद होने से बुनकरों व दुकान लगाने वाले लोगों का दर्द छलक पड़ा। मेला के लिए महिनों से कपड़े तैयार करने वाले भागलपुर के नवगछिया के सरफरान अंसारी ने बताया कि हमलोगों की पूंजी फंस गयी। दो साल से कोरोना महामारी के कारण हमलोगों की आर्थिक स्थिति चौपट हो चुकी है। मेला बंद होने हमलोग अपने परिवार के भविष्य को लेकर चिंतत है।
भागलपुर के रेकाबगंज से पहुंचे मो. अकमल अंसारी ने बताया कि इस मेले से हमलोगों को काफी उम्मीदें थी। मुजफ्फरपुर खादी का बड़ा बाजार है। दो दिन ही व्यवसाय करने का मौका मिला। सामान ढुलाई में बीस हजार रुपये खर्च हो गया। मेला बंद होने से पूंजी के साथ उम्मीदें टूट गई है। झारखंड के चाईबासा से पहुंचे भूपेंद्र कुमार ने बताया कि मेला महज तीन दिनों में बंद होने से सबलोग मायूस है।
तीन दिनों में 42 लाख रुपये की बिक्री
मोतीझील में आयोजित खादी मेला में तीन दिनों में 42 लाख रुपये की बिक्री हुई है। शहरवासियों में खादी के प्रति क्रेज देखकर स्टॉल संचालक उत्साहित दिखें। अंतिम दिन कपड़ा, तेल, अचार, लीची जूस व सुजनी कला के स्टॉल पर लोगों का तांता लगा रहा। जिला खादी व ग्रामोद्योग संघ के सचिव वीरेंद्र कुमार ने बताया कि तीन दिनों में उत्साह जनक बिक्री हुई है।
दस तीनों में लक्ष्य दो करोड़ रुपये से दोगुना बिक्री होने की संभावना थी। बीच में मेला बंद होने से बुनकरों व कारीगरों में मायूसी है।
अब एलएस कॉलेज में लगेगा खादी मेला
आने वाले महिनों में स्थिति सामान्य रहने पर एलएस कॉलेज परिसर में खादी मेला सह प्रदर्शन का आयोजन किया जायेगा। इसके लिए खादी व ग्रामोद्योग आयोग की ओर से स्वीकृति मिल चुकी है। मेला के आयोजन के लिए जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। मार्च प्रस्तावित मेला में बिहार के अलावा अलग अलग राज्यों के बुनकर व कारीगर अपनी हुनर को प्रदर्शित करेंगे। इसके लिए बुनकारों व संस्थानों ने तैयारी शुरू कर दी है।
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