पद्मश्री से सम्मानित मुजफ्फरपुर की ‘किसान चाची’ के लिए अगले 48 घंटे काफी अहम, वेंटिलेटर सपोर्ट पर चल रहा इलाज

साइकिल पर अपने बनाए कृषि प्रोडक्ट्स लेकर इलाके में घूमने वाली ‘किसान चाची’ आज बीमार हैं। डॉक्टर के अनुसार, 48 घंटे उनके जिंदगी के लिए काफी अहम हैं। देश-विदेश में पहचान बना चुकीं 65 साल की राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची ‘पद्म श्री’ से सम्मानित हैं। 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें यह सम्मान दिया था।




हालांकि, सोमवार को उन्हें परिजनों ने पटना AIIMS में इमरजेंसी में भर्ती कराया, लेकिन परिजनों का कहना है कि वहां तुरंत वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं हो सकी। इसके बाद भिखना पहाड़ी में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। मुजफ्फरपुर के सरैया प्रखंड के आनंदपुर गांव से आने वाली किसान चाची को अमिताभ बच्चन ने भी KBC पर बुलाया था। वहां उन्होंने उनके काम को भी सराहा था। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी बतौर गुजरात सीएम उनके काम को सराहा था।

समाज ने बहिष्कृत किया, पर इरादों पर अडिग रहीं राजकुमारी
किसान चाची का जीवन बेहद ही सरल पर चुनौतीपूर्ण रहा। देश के खास किसानों में से एक राजकुमारी देवी ने न सिर्फ अपना जीवन बदला, उन्होंने कई महिलाओं का जीवन बदल दिया। एक समय था जब दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें जूझना पड़ता था। समाज ने उनका बहिष्कार भी किया, लेकिन वे अपने इरादों पर अडिग रहीं और किसान के साथ-साथ एक कुशल व्यापारी के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। उन्होंने खुद खेती की। साथ ही अचार बनाना शुरू किया। फिर पूरे गांव में साइकिल पर घूम-घूमकर अचार बेचने लगीं। यह समाज को मंजूर नहीं था। समाज में अपनी पहचान बनाने में उन्हें काफी वक्त लगा।

चुनौतीपूर्ण रहा है किसान चाची का जीवन
साइकिल से सफर करने वाली किसान चाची का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। 1974 में शादी के बाद उन्हें कई वर्षों तक संतान नहीं हुआ। इसको लेकर उन्हें ससुराल में प्रताड़ित किया जाने लगा। 1983 जब बेटी का जन्म हुआ तब भी उन्हें ताने सुनने पड़े। अंत में मजबूरन उन्हें घर छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने पहले पति के साथ खेती में हाथ बंटाया। तब भोजन के लिए भी उन्हें तरसना पड़ता था। बाजार में उन्हें सब्जी की सही कीमत नहीं मिलती थी। यह देख उन्होंने वैज्ञानिक तरीके अपनाने शुरू कर दिए। साथ ही अचार और मुरब्बा भी बनाने लगीं। उन्हें बेचने के लिए खुद साइकिल पर लादकर उसे बाजार जाने लगीं। धीरे-धीरे उनकी पहचान होने लगी। 2003 में कृषि मेले में उनके उत्पादों को पुरस्कृत किया गया। CM नीतीश उनसे मिलने उनके घर तक गए।


अब विदेश तक पहुंचते हैं किसान चाची के प्रोडक्ट्स
2006 में उन्हें किसान श्री सम्मान से नवाजा गया। तब से लोग उन्हें किसान चाची बुलाने लगे। वहीं, 2013 में गुजरात के तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘वाइब्रेंट गुजरात’ कार्यक्रम में आमंत्रित किया। वहां इनके कार्यों की काफी सराहना हुई। वहीं, उनके फूड प्रोसेसिंग मॉडल को सरकारी वेबसाइट पर भी महिलाओं के लिए डाला गया। साइकिल से चलकर अपनी पहचान बनाने वाली राजकुमारी देवी उर्फ ‘किसान चाची’ अब स्कूटी से चलती हैं। साथ ही अब वह अकेले काम नहीं करती हैं। उनके साथ कई महिलाएं जुट चुकी हैं। बड़े पैमाने पर अचार-मुरब्बा तैयार किया जाता है। साथ ही उनके प्रोडक्ट्स विदेशों में ही निर्यात होते हैं।

INPUT: bhaskar

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