अपना मानदेय न फंसे, इसके लिए आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे ऑपरेटर दूसरों के टीकाकरण में ही पेच फंसा दे रहे हैं। वे लक्ष्य पूरा करने के लिए बिना टीकाकरण के ही लोगों का सर्टिफिकेट जारी कर दे रहे हैं।
बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें आने के बाद क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपनिदेशक ने प्रमंडल के सभी सिविल सर्जनों को जांच व कार्रवाई का आदेश दिया है।
कुढ़नी के महंत मनियारी के रहने वाले सुनील कुमार को बीते 16 जनवरी को एक मैसेज आया। लिखा था कि उन्होंने कोरोना टीके के दोनों डोज ले लिये। मैसेज देखकर सुनील चौंक गये। सुनील ने अब तक कोरेाना टीका का एक ही डोज लिया है। उन्होंने बताया कि दूसरा डोज लेना बाकी है लेकिन बिना टीका लिये ही उन्हें यह मैसेज मिल गया। अब वे इसके बारे में पता करने स्वास्थ्य केंद्र के चक्कर काट रहे हैं। उन्हें डर है कि मैसेज आने के बाद कहीं उन्हें कोरोना टीका लगाने से विभाग इनकार न कर दे।
दूसरा टीका लगा नहीं और आ गया मैसेज
सुनील के अलावा मुशहरी के मनिका के रहने वाले प्रमोद कुमार भी इस समस्या से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि उनकी मां को दूसरा टीका नहीं लगा है और मैसेज आ गया है। इसे ठीक कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग में आवेदन दिया है। यह दोनों मामले सिर्फ उदाहरण हैं। ऐसा हजारों लोगों के साथ हो चुका है। जिले के मुशहरी, बोचहां और कांटी से ज्यादा मामले आये हैं। मुशहरी में एक हजार से अधिक ऐसे मामले पकड़ में आये हैं जिसमें बिना टीका लिये ही लोगों को टीका का मैसेज चला गया है।
कहते हैं अधिकारी
टीकाकरण में गड़बड़ी गंभीर मामला है। प्रमंडल के सभी सीएस से इस बारे में जानकारी ली जायेगी। जो भी कर्मचारी या आपरेटर दोषी होंगे उन पर कार्रवाई के लिए लिखा जायेगा। -डॉ ज्ञान शंकर, आरडीडी हेल्थ।
कुछ निजी ऑपरेटरों की शिकायत मिली है। ऐसे ऑपरेटरेां को चिह्नित किया जा रहा है। उन पर कार्रवाई की जायेगी। जिन लोगों को बिना टीका लिये मैसेज आया वे शिकायत करें उन्हें टीका दिलवाया जायेगा। कई लोगों को टीका दिलवाया गया है। -डॉ विनय कुमार शर्मा, सिविल सर्जन।
दो सौ का लक्ष्य पूरा करने पर मिलता है साढ़े चार सौ रुपये
टीकाकारण में आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे ऑपरेटरों को 200 लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य दिया गया है। यही लक्ष्य टीका लगाने वाले वैक्सीनेटर को भी दिया गया है। 200 का लक्ष्य पूरा होने के बाद ऑपरेटरों को 450 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है। अगर यह लक्ष्य पूरा नहीं हो तो राशि रुक जाती है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों ने बताया कि इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए ऑपरेटर यह खेल करते हैं। उनकी इस गड़बड़ी से रोज 10 से 12 लोग सर्टिफिकेट ठीक कराने के लिए विभाग के चक्कर काटते हैं।
INPUT:Hindustan