उत्तर बिहार के जिलों में मौसम का मिजाज अब बदल चुका है, दो दिनों से लगातार बारिश का दौर जारी है। ऐसे में खेते में जलजमाव से अब किसानों को फसल को नुकसान पहुंचने का दर सताने लगा है। मई महीने से बारिश को झेलते आ रहे पश्चिम चंपारण जिले में बगहा अनुमंडल के किसानों को अभी इससे पीछा छूटने की उम्मीद नहीं है। शुक्रवार की सुबह से ही मौसम का मिजाज बदला हुआ है।
सुबह के समय बारिश होती रही जो शनिवार को जारी रही। वहीं पूरे दिन रुक-रुक कर बूंदाबांदी होती रही। हालांकि इस बारिश से रामनगर प्रखंड में धान समेत सब्जी व गन्ने की फसलों को नुकसान नहीं है। पर, जिन खेतों में पहले से जलजमाव है, रामनगर में प्रखंड के किसानों के लिए बारिश परेशानी का कारण बन सकता है।
रामनगर के स्थानीय कृषकों की मानें तो इस समय धान में बाल फूट रहे हैं। उसमें दाना विकसित हो इसके लिए पानी की आवश्यकता है। पर, अधिक बारिश की जरूरत नहीं है। ज्यादा मात्रा में पानी से धान की फसल गिरने की संभावना है। जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है। वहीं खेतों में अधिक नमी के कारण इसको काटने में भी देरी हो सकती है। इधर, मौसम बदलने के साथ ही तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 28 व न्यूनतम 22 डिग्री तक दर्ज किया गया है, जो अन्य दिनों से तीन डिग्री तक कम है।
बता दें कि मौसम विभाग के तरफ से आगामी तीन अक्टूबर तक बारिश को लेकर अलर्ट किया गया है। जिससे तापमान में और अधिक गिरावट होगी। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष रिकार्ड तोड़ बारिश हुई है। जिससे लोगों को कई बार बाढ़ का सामना करना पड़ा है। वहीं इससे सबसे अधिक नुकसान फसलों को हुआ है। प्रभारी कृषि पदाधिकारी प्रदीप तिवारी ने बताया कि बारिश से धान समेत किसी भी फसल के नुकसान की सूचना कहीं से नहीं मिली है।
फसलों पर दिखेगा प्रतिकूल प्रभाव
शुक्रवार से मौसम ने करवट बदली। बारिश ने एक तरफ धान के किसानों की खुशियां बढ़ा दी है। वहीं गन्ना किसान की ङ्क्षचता बढ़ा दी है। किसान छोटे श्रीवास्तव ने बताया कि जिन इलाकों में पानी सूख गया था, वहां पुन: जलजमाव हो गया है। आने वाले दिनों में रबी की खेती होनी है। साथ ही निचले क्षेत्र के खेतों में जल जमाव हो जाने से वहां की नमी बनी रहेगी।
किसान संजय कुमार, विनोद पांडेय, राजेश तुलस्यान आदि ने बताया यह बारिश धान के लिए जितना अधिक लाभकारी है गन्ना के लिए उतनी ही हानिकारक। धान किसानों के संबंध में विशेषज्ञ अशोक कुमार पांडेय ने बताया कि अगर ऐसे ही रूक-रूक कर बारिश होती रहे तो धान को लाभ अवश्य होगा, लेकिन अगर लगातार होती रहे तो यह बारिश नुकसानदायक हो सकती है। रबी के संबंध में विशेषज्ञों ने बताया कि अभी उसकी खेती करने के समय तक यह पानी समाप्त होने के साथ खेतों को नमी रहेगी।
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