मन सौंदर्यीकरण में आयी रुकावट को दूर करने के लिए नगर निगम कोर्ट में अर्जी दाखिल करेगा। इसके लिए जिला प्रशासन से अनुमति के बाद कार्रवाई संभव है। निगम के अधिवक्ता ने कहा है कि नगर निगम इसमें पक्षकार नहीं है, लेकिन निगम क्षेत्र में जमीन होने व आवेदकों द्वारा इसकी सूचना दी जाने के बाद निगम के पास यह विकल्प बचा है।
सिकंदरपुर मन सौंदर्यीकरण में आ रही बाधा के दो तत्कालिक समाधान ढूंढ़े गए हैं। एक तो मन के जिस हिस्से का मामला कोर्ट के विचाराधीन है, उस हिस्से को छोड़ दूसरे हिस्से पर मन सौंदर्यीकरण का काम जारी रखा जाए। दूसरा समाधान यह है कि इस मामले में बजाप्ता कोर्ट में अर्जी देकर नगर निगम भ्ज्ञी पक्षकार बने और स्थिति से कोर्ट को अवगत कराए। नगर निगम के अधिवक्ता वरुणेश कुमार ने बताया कि वादी पक्ष ने कोर्ट में राज्य सरकार को पक्षकार बनाया है। इसकी सूचना वादियों ने नगर निगम को देते हुए काम रोकने का आग्रह किया है।
अधिवक्ता ने बताया कि वादियों ने ढाई एकड़ जमीन का विवाद कोर्ट में होने की सूचना दी है, लेकिन यह जमीन मन के किस हिस्से में है, यह नोटिस में स्पष्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि शहर सौंदर्यीकरण का काम उस हिस्से में जारी रखने की अनुमति ली जाएगी, जहां विवाद नहीं है। जहां विवाद है, उसके लिए कोर्ट से एक पक्षकार के रूप में पक्ष रखने की अनुमति ली जाएगी। इस मामले में नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा कि मामले में निगम के अधिवक्ता से राय मांगी गई है। इस मामले में जिला प्रशासन से भी मार्गदर्शन लिया जाएगा और यथोचित कदम उठाये जाएंगे।
10 साल से चल रहे मामले का खंगाला जाएगा रिकार्ड
इस मामले में नगर निगम जिला प्रशासन के अधिवक्ता से संपर्क कर रहा है। नगर निगम ने सरकारी अधिवक्ता से इस केस में हुई अबतक की कार्रवाई के संबंध में जानकारी मांगी है। उनसे पूछा गया है कि वादी ने कोर्ट में अब तक जमीन से संबंधित कौन से दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं, जिनके आधार पर वे अपना दावा जता रहे हैं। इसके अलावा अब तक हुई बहस की कॉपी भी मांगी गई है। अधिवक्ता वरुणेश कुमार ने कहा कि इस मामले में निगम को भी अपना पक्ष रखना होगा।