स्वच्छता सर्वेक्षण के दसों मानकों पर मुजफ्फरपुर की दावेदारी कमजोर, 10 दिन बाद से शुरू होगा मूल्यांकन

स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए 10 दिन बाद से मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। एक मार्च के बाद केंद्रीय टीम कभी भी शहर में आम नागरिकों से फेस टू फेस फीडबैक लेने के साथ सफाई व्यवस्था का निरीक्षण कर सकती है, लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए फिलहाल अपना शहर तैयार नहीं दिख रहा है। मानक के दस बिंदुओं पर शहर की दावेदारी कमजोर पड़ सकती है।




चौतरफा चल रहे निर्माण के कीचड़ और मलबा से शहर की स्थिति पिछले तीन-चार महीनों से नारकीय बनी है। संसाधनों के अभाव के कारण हर मोहल्ले में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था नहीं है। नाला उड़ाही के बाद सिल्ट को उचित ठिकाना लगाने के लिए आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। निगम की लचर व्यवस्था के कारण सफाई के दस बिंदुओं पर दावेदारी कमजोर पड़ती दिख रही है। नाला उड़ाही व सफाई से जुड़े एक दर्जन उपकरण रजिस्ट्रेशन नहीं होने से सड़क पर नहीं उतर पा रहे हैं।


बता दें कि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण 7500 अंकों का निर्धारित किया गया है जिसमें 30 फीसदी नागरिकों के फीडबैक, 30 फीसदी स्वच्छता से संबंधित प्रमाण पत्रों व 40 फीसदी अंक सेवा स्तर की प्रगति के लिए तय किया गया है। बता दें कि कोरोना के कारण फरवरी में होने वाले सर्वेक्षण को बढ़ा कर मार्च किया गया है।


सर्वेक्षण को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। प्रशासनिक स्तर पर जिन बिंदुओं पर फोकस करना है, इस बारे में सभी प्रभारियों को अलर्ट कर दिया गया है। जल्द ही नये ऑटो टिपर हैंड ओवर होने हैं। वाहनों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो चुकी है। इसके बाद डोर टू डोर कूड़ा उठाव बेहतर ढंग से होगा।
-ओम प्रकाश, सिटी मैनेजर


इन 10 बिंदुओं पर सर्वेक्षण में फिसलेगा निगम :

पहली बार सर्वे में साफ हवा भी :
स्वच्छता सर्वेक्षण में पहली बार साफ हवा को लेकर मूल्यांकन किया जाना है। फिलहाल शहर में चौतरफा धूल के गुबार से लोग परेशान है। लगातार एक्यूआई 300 के पार रह रही है।

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन :
नगर निगम के पास पहले से 48 ऑटो टिपर है जिसमें से हमेशा आधा दर्जन टिपर खराब हालत में रहते हैं। ऐसे में एक वार्ड पर एक टिपर भी उपलब्ध नहीं है। इस कारण हर मोहल्ले तक डोर टू डोर कूड़ा उठाव की व्यवस्था नहीं है।


सर्विस लेवल प्रोग्रेस :
सर्विस लेवल प्रोग्रेस पर फोकस करते हुए, इस पर तीन हजार अंक तय किया गय है। जिसमें प्लास्टिक व पॉलीथिन प्रतिबंध कूड़े का निस्तारण शामिल है। दोनों में निगम की स्थिति बदतर है।

सफाई मित्रों की सुरक्षा :
निगम क्षेत्र में सफाई कर्मी की सुरक्षा को लेकर भी निगम की स्थिति लचर है। बगैर ग्लब्स और गमबूट के सफाई कर्मी नाला में उतरकर काम करते हैं। ऐसे काम करना कर्मियों की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है।

मशीन की बजाय ज्यादा मैन्युअल सफाई :
सर्वेक्षण में खास कर स्मार्ट सिटी में मशीनी सफाई पर ज्यादा फोकस किया गया है। लेकिन शहर में ज्यादातर मैन्युअल सफाई होती है। निगम के सफाई उपकरण कई मोहल्लों में पहुंचते भी नहीं हैं।


सूखा व गीला कूड़ा का अलग नहीं करना :
शहर के सभी वार्डों में सूखा व गीला कूड़ा को अलग कर, निस्तारण की व्यवस्था सफल नहीं है। मामले में सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।

सड़कों से सिल्ट का उठाव नहीं होना :
नाला उड़ाही के दौरान निकले गीला सिल्ट को उचित ठिकना लगाने की व्यवस्था नहीं है। उड़ाही के बाद मेन रोड में दस दिनों तक सिल्ट पड़ा रहता है।

चौराहे से लेकर मोहल्ले के मुहाने तक डंपिंग पॉइंट :
फिलहाल मोहल्लों से कूड़ा का उठाव कर, मेन रोड के मुहाने पर रख दिया जाता है। हर वार्ड में मेन रोड को ही डंपिंग पॉइंट बना दिया गया है।


कूड़ा उठाव की समय सीमा तय नहीं :
निगम की ओर से शहर में कूड़ा उठाव की कोई समय सीमा नहीं तय की गई है। सुबह से लेकर शाम तक कूड़ा उठाव होते रहता है। जिस वजह से जाम लगता है।

नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर का संचालन नहीं :
सफाई से जुड़ी शिकायतों के लिए निगम की ओर से कई बार हेल्प लाइन नंबर जारी किया गया। लेकिन इसका सफल संचालन नहीं हुआ। फिलहाल व्यवस्था ठप है।

INPUT:Hindustan

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