नगर विकास विभाग ने मुजफ्फरपुर नगर निगम के मेयर सुरेश कुमार के खिलाफ पारित अविश्वास प्रस्ताव को अवैध बताते हुए उन्हें पद पर बरकरार रखने को कहा है। साथ ही अविश्वास प्रस्ताव की बैठक के लिए विधिसम्मत प्रक्रिया नहीं अपनाने पर नगर आयुक्त से स्पष्टीकरण मांगने का भी निर्देश दिया गया है।
अविश्वास प्रस्ताव के लिए आयोजित बैठक की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण
विभाग ने ये निर्देश डीएम प्रणव कुमार की ओर से मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने केबाद बनी स्थितियों पर मांगे गए मार्गदर्शन के जवाब में दिए हैं। नगरपालिका प्रशासन निदेशालय के अवर सचिव राम सेवक प्रसाद ने डीएम को भेजे पत्र में राज्य निर्वाचन आयोग के निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए आयोजित बैठक की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी। इसमें बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 49 की अवहेलना की गई। आयोग ने फिर से मेयर का चुनाव कराने के लिए डीएम की ओर से भेजे गए अनुरोध पर पाया कि अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया में प्रावधानों का उल्लंघन हुआ।
नगर आयुक्त द्वारा गलत सूचना अंकित कर मेयर चुनाव की अनुशंसा भेज दी गई। राज्य निर्वाचन आयोग को अंधेरे में रखा गया। अवर सचिव ने कहा है कि इस स्थिति में तत्कालीन मेयर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं माना जा सकता। वर्तमान में उनके द्वारा ही मेयर पद के दायित्वों का निर्वहन किया जाना विधिसम्मत है। उन्होंने नगर पंचायत कोचस के मामले में उच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि नए सिरे से अविश्वास प्रस्ताव की विशेष बैठक के लिए विधिवत प्रक्रिया की जा सकती है।
सत्य की जीत
पदच्यूत कर दिए गये मेयर सुरेश कुमार ने कहा है कि यह सत्य की जीत है। उन्होने इसके लिए शहर की जनता को साधुवाद दिया है कि जनता ने उनका साथ दिया और पार्षदों ने मनोबल बनाये रखा।
क्या कहते हैं डीएम
इस मामले में जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कहा है कि नगर विकास विभाग का पत्र मिल गया है। नगर निगम को इस संदर्भ में संसूचित किया जाएगा। पार्षद चाहें तो दोबारा अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं। तब तक मेयर पद पर सुरेश कुमार बने रहेंगे।
नगर पालिका अधिनियम की धारा 49 की हुई अवहेलना
अवर सचिव ने अपने पत्र में राज्य निर्वाचन आयोग के निर्णय का हवाला दिया है। आयोग ने मेयर का चुनाव कराने केडीएम केअनुरोध पर कहा कि अविश्वास प्रस्ताव केलिए आयोजित बैठक में बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 49 की अवहेलना की गई। अधिनियम केअनुसार बैठक की सूचना सभी पार्षदों को कम से कम 72 घंटे पूर्व दी जानी चाहिए थी। इसका अक्षरश: पालन नहीं किया गया।
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