यूक्रेन पर रूस के हमले के तीसरे दिन वहां फंसे 250 भारतीयों को लेकर एअर इंडिया की दूसरी फ्लाइट तड़के 3 बजे दिल्ली पहुंची है। इन छात्रों को पहले यूक्रेन से निकाल कर बुखारेस्ट भेजा गया था, जहां इन्हें भारत लाया गया। खुद नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इन छात्रों की अगवानी की।
इससे पहले 219 भारतीय छात्रों को लेकर एअर इंडिया का विमान AI-1943 आज रात 8 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा था। विमान ने दोपहर में रोमानिया के बुखारेस्ट से उड़ान भरी थी। इनके लिए मुंबई के एयरपोर्ट पर एक स्पेशल कॉरिडोर बनाया गया।
यहां से बाहर निकलने के लिए स्टूडेंट्स ने कोविड-19 टीकाकरण का प्रमाणपत्र या RT-PCR की निगेटिव रिपोर्ट दिखाई। एयरपोर्ट पर ही RT-PCR जांच की व्यवस्था भी की गई थी। उधर रोमानिया के बुखारेस्ट से ही एअर इंडिया के एक और विमान ने 250 स्टूडेंट्स के साथ रात 9.30 बजे नई दिल्ली के लिए उड़ान भरी। यह रविवार सुबह करीब 8 बजे नई दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरेगा। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत स्टूडेंट्स की वापसी का यह अभियान जारी रहेगा।
मातृभूमि में आपका स्वागत है
इससे पहले, यूक्रेन से मुंबई पहुंचे भारतीय स्टूडेंट्स का केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विमान में जाकर स्वागत किया। उन्होंने कहा-‘ मातृभूमि में आप सबका स्वागत है। हर स्टूडेंट को वापस लाया जाएगा। एअर इंडिया की तरफ से आपका स्वागत है। बाद में एयरपोर्ट के लाऊंज में भी उन्होंने इन स्टूडेंट्स से बात की।
पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आप सभी बच्चों की बहुत चिंता थी। दो- ढाई दिन से पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर आप सभी की चिंता कर रहे हैं। दिन-रात फोन कर रहे हैं। पीएम ने रशियन और यूक्रेनियाई प्रेसिडेंट से बात भी की।
चिंता करने की जरूरत नहीं
उन्होंने कहा-आप के पास वहां फंसे लोगों के नंबर होंगे और आप को उन्हें फोन कर कहना है कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। भारत सरकार सभी को सुरक्षित वापस लेकर आएगी। जब तक सारे भारतीय नागरिक वापस नहीं आ जाते, ये मिशन चलता रहेगा। गोयल के साथ मुंबई नार्थ सेंट्रल सीट से सांसद पूनम महाजन भी थीं।
स्टूडेंट्स के लिए मुंबई महानगर पालिका की सभी सेवाएं फ्री
मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने भी मुंबई पहुंचे स्टूडेंट्स को फ़ूड पैकेट्स और पानी दिया। उन्होंने भी छात्रों से बात की है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन से लौट रहे सभी बच्चों के लिए मुंबई महानगर पालिका की ओर से सभी सेवाएं फ्री होंगी और उन्हें उनके घर तक हम पहुंचाएंगे। हम सभी का फ़्री कोविड टेस्ट, टीके, भोजन और अन्य सभी सुविधाएं मुहैया कराएंगे।
उधर, स्लोवाकिया में भारतीय एम्बेसी से एडवाइजरी जारी कर कहा है कि यूक्रेन में फंसे भारतीय उझारोड़-वायसन नेमेके सीमा से रेस्क्यू किए जाएंगे। वहीं हंगरी में भारतीय एम्बेसी ने भी सीमा से एंट्री की डिटेल एडवाइजरी जारी की है। हंगरी और पोलैंड की सीमा पर तेजी से भारतीय स्टूडेंट पहुंच रहे हैं।
हंगरी सीमा से केवल बस-वैन से ही एंट्री
हंगरी स्थित भारतीय एम्बेसी ने स्टूडेंट्स के लिए जारी एडवाइजरी में कहा है कि हंगरी के झाहोनी-उझोरोड सीमा से एंट्री कराई जाएगी। इसके लिए झाहोनी में एम्बेसी की एक लायजनिंग टीम भेजी है जो लोकल अथॉरिटी के साथ समन्वय बनाएगी। यहां से स्टूडेंट्स को बुडापेस्ट लाया जाएगा। वहां से भारत भेजा जाएगा।
एम्बेसी ने साफ किया कि उझोरोड सीमा से हंगरी में एंट्री केवल बस और वैन से ही हो सकेगी। पैदल सीमा पर आने वालों को एंट्री नहीं मिलेगी। सभी को पासपोर्ट, रहने का परमिट, कोविड टीकाकरण सर्टिफिकेट, स्टूडेंट पहचान पत्र रखना होगा। एम्बेसी ने यूक्रेन से हंगरी सीमा पर आ रहे भारतीय स्टूडेंट्स के फोटो, वीडियो भी जारी किए हैं।
उधर, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि हमारी टीमें 24 घंटे काम कर रही हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से इसकी निगरानी कर रहा हूं। वहीं, रोमानिया में भारतीय राजदूत राहुल श्रीवास्तव ने कहा- भारत सरकार यूक्रेन में फंसे प्रत्येक व्यक्ति को भारत लाने के लिए दिन-रात लगी हुई है।
हमारा यह मिशन तब तक नहीं रुकेगा, जब तक अंतिम व्यक्ति को रेस्क्यू नहीं कर लिया जाता। आप सभी अपनी जिंदगी में 26 फरवरी का ये दिन हमेशा के लिए याद कर लीजिए।
भारतीयों को एडवाइजरी- दूतावास की जानकारी के बिना कहीं न जाएं
इधर, पोलैंड में भारतीय राजदूत नगमा मल्लिक ने कहा कि दूतावास ने तीन टीमों का गठन किया है। ये टीमें भारतीयों को पश्चिमी यूक्रेन से बाहर निकलने में सहायता करेंगी। सभी फंसे हुए भारतीयों को पोलैंड ले जाया जाएगा, वहां से उन्हें भारत भेजने की व्यवस्था की जाएगी।
यूक्रेन की इंडियन एम्बेसी ने एडवाइजरी जारी कर वहां फंसे भारतीयों से कहा है- सीमा पर तैनात भारतीय अधिकारियों से समन्वय के बिना सीमा की तरफ न निकलें। पश्चिमी शहरों में खाने-पीने की चीजों के साथ जहां हैं, वहीं बने रहना बेहतर है। बिना कोआर्डिनेशन के बॉर्डर पर पहुंचने से परेशानी उठानी पड़ सकती है।
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