मुजफ्फरपुर में खाद्य सुरक्षा विभाग को मिलावट की नहीं है कोई चिंता, अपनी मर्जी से चलाते अभियान

मुजफ्फरपुर। मिलावटी सामान बेचने वालों पर नकेल कसने की बात केवल कागज तक सिमट कर रह गई है। पूरे साल बिकते हैं मिलावटी खाद्य व पेय पदार्थ, लेकिन अधिकारियों की नींद केवल त्योहार के अवसर पर टूटती है।




अभी होली है इसलिए दो दिन से अभियान चल रहा है। जानकारी के अनुसार पहले से सदर अस्पताल में चल रहा लैब बंद हो गया। मोबाइल जांच वाहन आया तो उसके लिए दो माह से टेक्नीशियन नहीं मिल रहा है। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि मिलावटी सामान जब्त करने को लेकर सिस्टम कितना सजग है। अभियान के दौरान खाद्य पदार्थों की जांच के लिए नमूना लिया जाता है, जिसकी रिपोर्ट 15 दिन के बाद आती है।


इस बीच दुकानदार मिलावटी सामान बेचकर निकल भी जाते हैं। कुल मिलाकर जांच के नाम पर केवल सरकारी आंकड़ा पूरा करने का काम चल रहा है। आम आदमी के स्वास्थ्य की चिंता किसी को नहीं है। हद तो यह कि शहर से लेकर गांव के चौक-चौराहे और बाजारों तक में बिक रही फल व सब्जियों में भी केमिकल का उपयोग हो रहा है। कद्दू में इंजेक्शन देकर उसका साइज बढ़ाया जा रहा है। लेकिन उसके खिलाफ कौन जांच चलाए।


जांच में केमिकल की बात होने पर भी पूरे साल नहीं होती छापेमारी
विभाग के अनुसार छाता चौक की एक दुकान से सैंपल लिए गए थे। उसके खोआ और छेना में जो बर्क था उसे स्वास्थ्य के लिए लिए काफी खतरनाक बताया गया। इस दुकान से दो सैंपल लिए गए थे, लैब की जांच में दोनों असुरक्षित पाए गए। इस मामले में दुकान मालिक पर विशेष कोर्ट में केस दर्ज कराया गया है। वहीं, इमलीचट्टी स्थित एक दुकान से खोआ की बर्फी में मिलावट की पुष्टि हुई है। इसके अलावा रेवा रोड, औराई कटौझा, खबड़ा स्थित एक-एक दुकान का नमूना मिस ब्रांड पाया गया। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। यह सब जानकारी होने के बाद भी पूरे साल जांच व छापेमारी का अभियान नहीं चलता।


कार्यशैली पर उठा सवाल

जिला स्तर पर मिलावट रोकने के लिए 14 सदस्यीय परामर्श दात्री समिति गठित की गई है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि इस समिति की तीन वर्षों में एक बार भी बैठक नहीं हो सकी है। समिति खाद्य पदार्थों में गुणवत्ता में सुधार व समस्याओं के निदान और मिलावट रोकने के लिए सुझाव देती है। प्रत्येक तीन माह पर या अध्यक्ष के बुलाने पर कभी भी समिति की बैठक होनी है, जो नहीं हो रहा है।


अभियान की जमीनी हकीकत
2017 से अब तक 214 दुकानों से सैंपल लिए गए। इसमें से 39 दुकानों में बिकने वाली मिठाइयां व खाद्य पदार्थों के नमूनों में मिलावट मिला। 14 दुकानों में अनसेफ और 25 दुकानों में बिकने वाली मिस ब्रांड खाद्य सामग्रियां पाई गई। जानकारों की माने तो जिले में 25 से तीस हजार खाद्य सामग्री की दुकानें हैं, लेकिन लाइसेंस केवल 9042 के पास है। एक से डेढ़ लाख टन खाद्य पदार्थों की इन दुकानों से औसतन खपत होती है।


50 रुपये में जांच, 20 मिनट में रिपोर्ट
मिलावट से मुक्ति अभियान के तहत तिरहुत प्रमंडल के लिए मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब वाहन भेजा गया है। लेकिन एक माह से लैब टेक्नीशियन के इंतजार में सदर अस्पताल में खड़ी हैं। फूड इंस्पेक्टर सुदामा चौधरी ने बताया कि फूड टेङ्क्षस्टग लैब वाहन में लैब टेक्नीशियन के लिए सिविल सर्जन को पत्र लिखा हैं। लैब टेक्नीशियन आ जाने से छापेमारी के दौरान 15 से 20 मिनट के अंदर मिलावट खाद्य सामग्री की जानकारी मिल पाएगी। इससे मिलावटी बेचने वाले पर नकेल कसी जाएगी।


सदर अस्पताल में फूड टेस्टिंग वाहन 9 फरवरी पहुंच गया। अगर किसी को लगता है कि जो खाद्य वस्तु खरीदी है वह मिलावटी है तो फूड सेफ्टी आफिसर को शिकायत करने से पहले उसकी खुद जांच करा सकते हैं। वह मिलावटी है या असली हैं। इसके लिए 50 रुपये देने होंगे और 20 मिनट में रिपोर्ट मिल जाएगी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी सुदामा चौधरी ने कहा कि पिछली दिवाली के मौके पर सैंपल लिए गए थे। इनकी जांच में मिलावट की पुष्टि हुई थी। इसके बाद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। अभी जो नमूना लिया गया, उसको जांच के लिए भेजा जाएगा। मोबाइल लैब को चालू करने की कवायद चल रही है। अभियान नियमित चलता है। आम लोगों की शिकायत पर भी जांच की जाती है।

INPUT: JNN

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