उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक से 100 करोड़ के गबन में 8 अधिकारियों पर FIR, पूर्व ऑडिटर ने कोर्ट में दर्ज कराया था परिवाद

उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में 100 करोड़ गबन मामले में बैंक के आठ अधिकारियों के खिलाफ बुधवार को काजी महम्मदपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। पूर्व ऑडिटर नवनीत कुमार के कोट परिवाद पर काजी मोहम्मदपुर थाने के थानेदार सतेंद्र कुमार सिन्हा ने केस दर्ज किया है।

प्राथमिकी में पूर्व चेयरमैन इंद्रमोहन उतरेजा, महाप्रबंधक महेंद्र कुमार, मुख्य प्रबंधक कार्मिक रमेश कुमार, मुख्य प्रबंधक राजन कुमार गुप्ता, क्षेत्रीय प्रबंधक रियाजुद्दीन अहमद, अनूप कुमार झा, क्षेत्रीय अधिकारी रमेश कुमार मिश्रा, बीएम रोहित राज समेत आठ को नामजद आरोपी बनाया है।

सीजेएम कोर्ट में दर्ज कराया था परिवाद

ऑडिटर नवनीत कुमार ने पिछले साल 17 जुलाई को सीजेएम कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया था। उन्होंने परिवाद पत्र में बताया कि वे बैंक के आंतरिक ऑडिटर के पद पर कार्यरत थे। ऑडिटर के रूप में बैंक की 124 शाखाओं का ऑडिट किया। इसमें प्रथम दृष्टया बैंकिंग फ्रॉड व भ्रष्टाचार कर करीब सौ करोड़ से अधिक की राशि के गबन का पता चला। बैंक की बैरिया चौक शाखा में करीब दस करोड़ रुपये से अधिक का लोन जानबूझकर फर्जी कागजात पर वितरित करने का मामला मई 2020 में सामने आया।

इसी तरह विभिन्न शाखाओं के ऑडिट में पता चला कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर लोन वितरित किये गये। बैकिंग नियमों की अनदेखी कर खातों से ब्याज अर्जित किये गये, एनपीए खातों को पीए दर्शाया गया, बैड लोन की बैलेंस शीट व केसीसी खाताओं का नवीनीकरण समेत कई कार्यों में नियमों को ताक रखकर व्यक्तिगत कमाई का मामला सामने आया। काजी मोहम्मदपुर थाने के थानेदार सतेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि वादी से ऑडिट रिपोर्ट की मांग की गई है।

26 मई को कार्रवाई को लेकर भेजा था ई-मेल

गबन सामने आने के बाद ऑडिटर नवनीत कुमार ने अपनी रिपोर्ट में सभी भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए संबंधित शाखा प्रबंधकों के विरुद्ध उचित करवाई हेतु 26 मई 2020 को तत्कालीन अध्यक्ष यूबीजीबी कलमबाग रोड मुजफ्फरपुर को लिखित एवं ई-मेल भेजा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट पहुंचे थे

नवनीत ने परिवाद में कोर्ट को बताया था कि उनकी रिपोर्ट के आधार पर गबन के मामले में बैंक अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया। उल्टे उन्हें धमकी मिलने लगी थी। इसकी शिकायत करने वे काजी मोहम्मदपुर थाना पहुंचे थे, लेकिन वहां भी थाने पर आवेदन नहीं लिया गया। इसके बाद वे कोर्ट चले गये।

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