मुजफ्फरपुर के चर्चित आंखफोड़वा कांड जिसमें मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के दौरान कई लोगों के आंख की रौशनी चली गई थी, उस मामले में चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर कार्रवाई रिपोर्ट दायर किया. हलफनामें में कोर्ट को बताया गया है कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीड़ितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराया गया है.
मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह को कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा का जवाब दायर करने के 31 मार्च, 2022 तक का समय दिया है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामलें प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है, लेकिन अनुसंधान का कार्य नहीं हो रहा हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह को इस अस्पताल को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है.
बता दें कि पटना कोर्ट ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था. इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपने आँखों को खोना पड़ा.
याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था. याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंख गंवानी पड़ी.
मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया है. पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 31मार्च, 2022 को की जाएगी.
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