राजस्थान के अलवर जिले के गांव पहाड़ी से निकले नरेंद्र ने साबित कर दिया कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती. नरेंद्र ने एक गरीब परिवार में जन्म लिया. आर्थिक तंगी के कारण उन्हें सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ी. मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी. उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि वो एनडीए की परीक्षा में 267वीं रैंक हासिल करने में सफल रहे. अब वो इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बनकर देश की सेवा करेंगे.
नरेंद्र के पिता रोहताश के किसान हैं. उनके पास सिर्फ दो बीघा जमीन है. वहीं उनकी मां धौली देवी घर की जिम्मेदारी संभालती हैं. जैसे-तैसे माता-पिता ने नरेंद्र को स्कूल भेजा और अलवर के यूनिक स्कूल से 2019 में दसवीं की परीक्षा पास कराई. जानकारी के मुताबिक नरेंद्र के लिए आगे की पढ़ाई मुश्किल थी. मगर उनके गुरू सुमित यादव ने उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया और हर संभव मदद की.
इस तरह से नरेंद्र ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बाद में दिल्ली से सटे हरियाणा के सोनीपत के गोहाना आकर एक कंपनी में सिक्युरिटी गार्ड बन गए ताकि अपने सपने को पूरा कर सकें. अंतत: नरेंद्र की मेहनत रंग लाई और वो एनडीए की परीक्षा पास करने में सफल रहे. नरेंद्र उन लोगों के लिए मिसाल हैं जो गरीबी के आगे घुटने टेंक देते हैं और हमेशा अपनी किस्मत को दोष देते रहते है.