अच्छी खबर: मुजफ्फरपुर में एईएस पीड़ि‍त बच्‍चों को एम्स के चिकित्सक से मिलेगी टेली आइसीयू की सुविधा, स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

मुजफ्फरपुर, {अमरेंद्र त‍िवारी}। एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से बचाव की हर स्तर पर पहल चल रही है। इसी के तहत अब पीडि़त बच्‍चे के लिए एम्स, पटना के चिकित्सकों से टेली आइसीयू की सुविधा दी जाएगी।

सदर अस्पताल के एमसीएच में 36 स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है। जिला वेक्टरजनित रोग पदाधिकारी डा. सतीश कुमार ने बताया कि यह प्रशिक्षण एईएस उपचार में उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल में 10 बेड का पीकू व 10 बेड का एईएस वार्ड बनाया गया है। इसमें जल्द ही टेली आइसीयू सेवा प्रारंभ की जाएगी। पीकू सह एईएस वार्ड में एईएस मरीज के साथ एक माह से 12 वर्ष तक के अति गंभीर बीमार ब’चों का उपचार एवं देखभाल की जाएगी।

एम्स से मिलेगी सलाह

डा.सतीश कुमार ने बताया कि एम्स से इलाज की सलाह मिलेगी। डा. नीरज ने बताया कि टेली आइसीयू काउंसिल‍िंग में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना से शिशु रोग विशेषज्ञ टेली आइसीयू काउंसिल‍िंग सेवा से अपने को जोड़ सकेंगे तथा गंभीर स्थितियों पर विशेषज्ञों की सलाह ले पाएंगे। विषम परिस्थिति में ही कहीं रेफर किया जाएगा। रेफर करते समय यह ध्यान में रखा जाएगा कि उसे लाइफ सपोर्टिंग उपकरण मिलते रहें। इसके अलावा जो भी मरीज के स्वजन आते हैं उन्हें एईएस पर जागरूक करना है। प्रशिक्षण में चिकित्सक, स्टाफ, नर्स, लैब टेक्नीशियन, केयर इंडिया के जिला समन्वयक सहित अन्य शामिल रहे।

एक बच्‍चे में एईएस की पुष्टि

एसकेएमसीएच में इलाजरत एक और बच्‍चे में एईएस की पुष्टि हुई। इस साल अबतक एईएस पीडि़त बच्‍चों की संख्या 21 हो गई है। जानकारी के अनुसार सकरा थाना के लोचनपुर गांव के मुकेश कुमार की पुत्री अजंता कुमारी(6) का इलाज चल रहा है। शिशु विभागाध्यक्ष डा. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि 25अप्रैल को चमकी बुखार की हालत में अजंता को भर्ती किया गया। ब’ची की पैथोलाजिकल जांच कराई गई। इसमें एईएस की पुष्टि हुई।

पीएचसी स्तर पर 32 संदिग्ध मरीज आए, स्वस्थ होकर लौटे :

प्रभारी सीएस डा. एसपी स‍िंह ने बताय कि हर पीएचसी में प्रोटोकाल के तहत इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि मीनापुर, मोतीपुर, कांटी और साहेबगंज पीएचसी में 32 ऐसे बच्‍चे आए जो संदिग्ध थे। उनमें चमकी बुखार के लक्षण थे। इलाज के 24 घंटे के अंदर ब’चों में सुधार होना शुरू हुआ और दो दिन बाद स्वस्थ होने पर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

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