मुजफ्फरपुर, जासं। पिछले कुछ दिनों से गरीबनाथ मंदिर को लेकर चल रहे विवाद के बीच प्रमंडलीय आयुक्त मिहिर कुमार सिंह का स्थानांतरण हो गया। इस बार भी उनका कार्यकाल छोटा ही रहा।
वे यहां 11 माह तक इस पद पर रहे। इससे पहले वर्ष 2012 में वे यहां नौ माह तक इस पद पर रहे। इस कार्यकाल में उनके नाम के साथ एक और पद जुड़ा। वह है श्री गरीबनाथ न्यास समिति के अध्यक्ष का। पदेन अध्यक्ष नहीं होने से इस पद पर वे अब भी रहेंगे। गुरुवार दोपहर उनके तबादले की सूचना चर्चा के साथ तेजी से फैली। अमूमन इस पद पर तबादले की इतनी चर्चा नहीं होती। बाबा गरीबनाथ मंदिर को लेकर न्यास समिति के निर्णय पर विवाद के कारण सरकार का पत्र जारी होते ही सूचनाएं तेजी से फैलीं।
विदित हो कि बाबा गरीबनाथ मंदिर में बैंक की शाखा खोलने को लेकर विवाद अधिक हुआ था। हंगामा करने वालों पर न्यास समिति ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसे लेकर विहिप और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को यहां आए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के सामने यह बात रखी थी। इसके बाद मंत्री ने आयुक्त से फोन पर बात कर निर्णय पर विचार करने को कहा था। यह बातचीत काफी चर्चित रही, मगर न्यास ने निर्णय में बड़ा बदलाव नहीं किया। मंत्री ने दर्ज मामले में समझौता कराने का आग्रह किया था, मगर यह नहीं हुआ। न्यास समिति के निर्णय का विरोध करने वाले इस तबादले की समीक्षा अपने स्तर से करते रहे। दूसरी ओर सरकारी स्तर से इसे पूर्व तय ही कहा जा रहा है, मगर दिनभर यह तबादला चर्चा में रहा।
यूपी के 15 गांव बिहार में शामिल कराने की अनुशंसा बड़ा निर्णय
प्रमंडलीय आयुक्त के रूप में मिहिर कुमार सिंह ने हाल में ही यूपी के कुशीनगर और महाराजगंज के 15 गांवों को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में शामिल करने की अनुशंसा की थी। भविष्य में दोनों राज्यों का भौगोलिक परिवर्तन हुआ तो यह निर्णय यादगार रहेगा। इसके अलावा पूर्वी चंपारण के चकिया में जमीन की गलत किस्म बताकर चार करोड़ के राजस्व का चूना लगाने के मामले में उनकी कार्रवाई महत्वपूर्ण रही।