मुजफ्फरपुर शहर के सरकारी भवनों पर सोलर रूफ टॉप लगाने की योजना पर सरकारी कार्य एजेंसी ब्रेडा ने ही ब्रेक लगा दिया है। 15.38 करोड़ की इस योजना से सरकारी कार्यालय अपनी छतों पर लगे सोलर प्लेट की बिजली से ही जगमगाते और करोड़ों के बिजली बिल की बचत हो सकती थी। दो साल पहले बनी इस योजना पर इसलिए ब्रेक लग गई है कि सरकारी एजेंसी ब्रेडा अपने कमीशन को लेकर जिद पर अड़ गई है। थक-हारकर मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने ब्रेडा के निदेशक से मामले में कार्रवाई की गुहार लगायी है, ताकि स्मार्ट सिटी की इस महत्वूर्ण योजना को अमलीजामा पहनाया जा सके।
बिजली की बचत के साथ पार्यावरण को मिलता लाभ
स्मार्ट सिटी की परिधि में आने वाली सरकारी भवनों में सोलर एनर्जी के उपयोग का फैसला स्मार्ट सिटी की बोर्ड ने लिया। दो साल पहले पास इस योजना के तहत 15.38 करोड़ की लागत से सरकारी भवनों पर सोलर प्लेट लगाना था। अनुमान था कि इन सोलर प्लेट से इतनी बिजली पैदा हो जाएगी कि सरकारी भवनों में सामान्य बिजली की खपत नगण्य हो जाएगी। इससे हर साल करोड़ों के बिजली बिल की बचत तो होती ही, पर्यावरण को भी लाभ मिलता। स्मार्ट सिटी की इस परियोजना को ऊर्जा विभाग के सहयोग से पूरा करना था।
प्रावधान था कि कुल योजना की 75 फीसदी राशि का सात प्रतिशत ब्रेडा को सोलर रूफ टॉप लगाने के लिए कमीशन दिया जाएगा। शेष 25 फीसदी राशि का सात प्रतिशत कमीशन ऊर्जा विभाग वहन करेगा। यह ऊर्जा विभाग के प्रावधान में ही है कि सरकारी उपयोग के लिए सोलर लाइट आदि लगाने पर 25 फीसदी राशि का खर्च ऊर्जा विभाग वहन करेगा।
प्रावधान के अनुसार ब्रेडा को करीब डेढ़ करोड़ रुपये कमीशन स्मार्ट सिटी से व 26.25 लाख कमीश ऊर्जा विभाग से काम पूरा होने पर मिलना था। लेकिन ब्रेडा ने इस योजना पर यह कहकर ब्रेक लगा दिया कि वह पूरी राशि का सात फीसदी एडवांस में स्मार्ट सिटी से लेगा। ब्रेडा के इस निर्णय के बाद इस योजना पर ग्रहण लग गया और इस योजना के करार में ही एक साल की देर हो गई।
INPUT: Hindustan